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ऑपरेशन जेरोनिमो – आतंकवादी का अंत या आतंकवाद की एक नई शुरुआत

सरोकार
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हाल ही में अमेरिकी सेना द्वारा चलाए गए गुप्त अभियान ऑपरेशन जेरोनिमो की सफलता ने जहां एक ओर दुनिया भर के लोगो को राहत की सांस लेने का मौका दिया है, वहीं दूसरी ओर हमारे पडोसी मुल्क पाकिस्तान की साख पर प्रहार करते हुए ये बात साबित कर दी है कि जाने अनजाने ही सही पकिस्तान, आतंकवादियों का गढ़ बन चुका है.


गौरतलब है कि ये अभियान कुख्यात आतंकवादी और अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के लिए चलाया गया था. अपने गुप्त विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से लादेन के पाकिस्तान के एक छोटे से शहर एबटाबाद के एक घर में होने की खबर मिलते ही बिना पाकिस्तान को इस बारे में सूचित किए , अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने अमेरिकी सेना को घर में घुस कर मार गिराने का फरमान जारी कर दिया.


वैसे तो अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ हमेशा से  ही दोहरा रवैया अपनाया है, एक तरफ तो आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने की बात कही जाती है, परन्तु बार-बार भारत की तरफ से यह दलील दिए जाने के बाद कि आतंकवाद का केंद्र पाकिस्तान है, अमेरिका ने तब तक कोई ख़ास कार्यवाही नहीं की जब तक अमेरिका में 9/11 का आतंकी हमला नहीं हुआ, जिसमें न जाने कितने ही मासूम लोगों की जान चली गयी. इस घटना ने अमेरिका की आतंरिक सुरक्षा की पोल तो खोली ही साथ ही साथ दहशतगर्दो के खतरनाक मंसूबों का भी उदाहरण मिल गया. लादेन का खात्मा दुनिया को आतंकवाद से बचाने के लिए किया गया या फिर इस 9/11 का बदला लेने और अपनी शक्ति प्रदर्शन के लिए हुआ इसका जवाब मिलना तो खैर मुश्किल ही है.


पर क्या लादेन का खात्मा वास्तव में आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों की नींव को कमज़ोर करने  में सहायक होगा या फिर किसी नए आतंकवाद को जन्म देगा! हाल ही में अफगानिस्तान में हुए एक आतंकी हमले में कितने ही बेगुनाहों की जान गई और इसके साथ ही राष्ट्रपति हामिद करज़ई का बयान आया कि संभवत: यह हमला अमेरिका द्वारा लादेन की मौत का बदला लेने और दुनियांभर में एक बार फिर अपनी दहशत फैलाने के लिए किया गया है.


पाकिस्तानी अधिकारियों की तरफ से हमेशा से ही लादेन के पकिस्तान में होने की बात को नकारा जा रहा था. इसके दो कारण हो सकते हैं,पहला या तो पाकिस्तान द्वारा अपनाई जा रही तकनीकें या योजनाएं कारगर सिद्ध नहीं हुईं जिनकी मदद से लादेन के ठिकानों का पता नहीं चल पाया और दूसरा पाकिस्तान खुद ही लादेन के संरक्षक के रूप में कार्य कर रहा था. दूसरा कारण साक्ष्यों की कसौटी पर अधिक खरा उतरता है क्योंकि लादेन जैसे कुख्यात आतंकवादी का निवास स्थान पाकिस्तानी आर्मी के एक बड़े अधिकारी के घर के पास होते हुए भी सेना को इस बात की भनक तक नहीं पड़ी. ये बात गले नहीं उतरती. खैर इस घटना के बाद पाकिस्तान को अमेरिका की ओर से आतंकवाद से निपटने के लिए मिलने वाली धनराशि तो खटाई में पड़ती नज़र आ रही है.


लादेन की मौत का सच जितना साफ़ है उतना ही भयानक भी है. भारत के सन्दर्भ में इस घटना को देखा जाए तो पड़ोसी राष्ट्र होने और भारत-पाकिस्तान के आपसी रिश्तों के चलते हमें अधिक सावधानी बरतने की ज़रुरत है. वैसे देखा जाए तो आज का भारत चुनौतियों की ही देन है. हमने हमेशा चुनौतियों का सामना किया है और फिर उन चुनौतियों को अवसर में बदलकर विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाई है. भारत के सामने आतंकवाद को जड़ से मिटाने की एक बहुत चुनौती है,जिसका डटकर सामना करना ही वक्त की मांग है.



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