Menu
blogid : 5462 postid : 22

ठगी का सबसे बड़ा नमूना – ठगिनी राजनीति और सरकार

सरोकार
सरोकार
  • 50 Posts
  • 1630 Comments

हाल ही में हुए बाबा रामदेव के सत्याग्रह आंदोलन से तो खैर सभी अवगत हैं. यह आंदोलन किस कारण हुआ और किस वजह से इसे समाप्त कर दिया गया, इस बारे में भी कुछ कहने की कोई आवश्यकता नही हैं. आंदोलन और सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में मीडिया में दिन भर चलने वाली खबरें सुन-सुन कर वैसे भी कान पक चुके हैं. आए दिन यह खबरें सुनने को मिलती रहीं कि बाबा 4 जून से सत्याग्रह करेंगे, फिर यह सुनने को मिला कि यह सत्याग्रह नहीं बाबा का योग शिविर है. इसके तुरंत बाद ही इसे प्रायोजित सत्याग्रह का नाम दिया गया, जिसे बड़ी-बड़ी कांग्रेस विरोधी पार्टियों, और कुछ धार्मिक दलों का समर्थन प्राप्त है. यह भी ठीक हैं, आखिर बाबा ऐसे योगाचार्य हैं जिनकी योग विद्या और विभिन्न योगासनों से जनता  को इतना फायदा हुआ है. और ऐसा व्यक्ति जब सत्याग्रह की राह पर चलने का मन बनाता हैं तो समर्थन मिलना तो स्वभाविक ही है.


ramdev on anshanबाबा चाहे स्वार्थ भावना से या फिर मीडिया में छाने के लिए ही सही यह अनशन कर रहे हों लेकिन उनका कहना सही है कि विदेशों मे छुपे काले धन को राष्ट्र की संपति घोषित किया जाए, और खाताधारकों के नामों को सार्वजनिक किया जाए और साथ ही देशद्रोह के अपराध में उन्हें मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास दिया जाए. इससे पहले की आप यह सोचें कि यह सब मैं बाबा का समर्थन करने के लिए कह रही हूं, मै पहले ही स्पष्ट कर दूं की यहां बात बाबा की नहीं उनकी मांगों की हो रही है. अगर यह आंदोलन आपने किया होता और यह मांगे आपने रखी होतीं, तो संभवत: समर्थन आपका भी होता.


हमारी सरकार का कहना है कि बाबा ने देश को और अपने अनुयायियों को ठगा है, और अब वह सरकार को ठगने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन शायद हमारी सरकार ठगी का मतलब ही नही जानती. मेरे हिसाब से ठगना उसे कहते हैं जो पिछले काफी समय से हमारे साथ हो रहा है, सुनहरे सपने दिखा उसे चूर-चूर कर देना, इसे ठगी कहते हैं, आए दिन जरूरी सामानों के दामों में वृद्धि कर दी जाती है, गरीबों के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं जो लागू होने से पहले ही ठंडे बस्ते में चली जाती हैं. इक्की-दुक्की लागू हो भी गईं तो जिसे उसका लाभ मिलना चाहिए, वो बेचारा तो अपने हक के लिए बस चप्पलें ही घिसता रह जाता है, शायद इसे ठगना कहते हैं. इतने से भी अगर ठगने का मतलब स्पष्ट ना हुआ हो तो बीपीएल परिवारों को कार्ड के रूप मे यह अधिकार दिया गया है कि वे राशन की दुकानों से सस्ता सामान ले सकते हैं, लेकिन शायद हमें ऐसे किसी कार्ड की कोई जरूरत नही हैं क्योंकि सरकारी आंकड़ों के हिसाब से महीने के 578 रूपये कमाने वाला अर्थात दिन के लगभग 20 रूपये कमाने वाला व्यक्ति आसानी से अपने परिवार का गुज़र-बसर कर सकता है. इसका मतलब तो यह हुआ कि भारत में कोई गरीब है ही नही. इससे बड़ी ठगी का उदाहरण क्या कोई और हो सकता है.


लेकिन यह बात व्यंग्यात्मक  नहीं विचारात्मक है.

बाबा रामदेव ने काला धन वापिस लाने की मुहिम चलाई है. हम उन खाताधारकों की कमाई का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि स्विस बैंक के नियमानुसार, खाता खुलवाने की जमानत राशि ही पचास लाख रूपए है, इसके अलावा हर वर्ष 15,000 रूपये रखरखाव राशि के रूप में भरने होते हैं, इस बात से यह साबित हो जाता हैं कि स्विस बैंक में  केवल काली कमाई ही जाती है, और इस काली कमाई के स्वामियों की सार्वजनिक छवि बहुत साफ है. काली कमाई करने वालों के काले पैसों की स्विस बैंक में सुरक्षा का खासा ख्याल रखा जाता है.  उनके नामों, और जमा धनराशि आदि को गुप्त रखा जाता है, और यदि बैंक का कोई कर्मी या अधिकारी उनसे संबंधित किसी भी सूचना का खुलासा करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही का भी प्रावधान है.


वाह रे इण्डिया ! एक तरफ तो वो, जो दिन के 20 रूपये कमाते हैं, कहां से बैंक में रुपये जमा करवाएंगे, और दूसरी तरफ वो जो जिसके पास इतना पैसा हैं कि जमा करने के लिए देशी बैंक भी अच्छे नहीं लगते तो विदेशों का रुख किया जाता है. पैसे की कमी मुश्किलों को जन्म देती है तो इसकी अधिकता मुसीबतों को. वो कहते हैं ना कि कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कभी जमी तो कभी आसमां नहीं मिलता…


एक और बात जो मुझे समझ में नहीं आ रही वो ये कि हमारे फिल्म अभिनेता जिन्हें बस जनता के बीच आने का मौका मिलना चाहिए, जो छोटे-बड़े सभी आंदोलनों को अपना समर्थन तो देते ही हैं और साथ ही बिना मांगे अपनी अनमोल राय भी देते हैं ताकि दर्शकों के बीच उनकी सकारात्मक छवि बन सके, वह इस आंदोलन से दूरी क्यों बनाए हुए हैं. इसके उलट तो वे बाबा के इस आंदोलन पर विरोधी टिप्पणी ही करते हुए, बाबा को केवल योगा करने की ही सलाह दे रहे हैं. लाखों लोगों के पसंदीदा कलाकार शाहरुख खान तो पहले ही 2जी घोटाले के सदमे से उबर नहीं पाए हैं, हो सकता है और कोई झटका सहना उन्हें गवारा ना हो, लेकिन बाकियों का क्या? यह सवाल उठना तो लाजमी ही है.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh