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तिहाड़ जेल, जिसमें कभी चार्ल्स शोभराज जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के सीरियल किलर को बंधक बना कर रखा गया था, आज वह हमारे देश की कई नामी-गिरामी हस्तियों का निवास स्थान बन गई है. आमतौर पर जिस जेल में कुख्यात आतंकवादियों और हत्यारों को सजा दी जाती थी, आज वहां वीआईपी कोटे के सफेदपोश लोग भ्रष्टाचार के आरोप में सजा काट रहे हैं. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इन कैदियों में कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जिनके हाथ में स्वयं हमने अपने समाज को सुधारने की जिम्मेदारी दी थी. लेकिन जब यह स्वयं भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में सजा काट रहे हैं तो इनसे भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकते.
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गिरफ्तार हुए भारत के पूर्व दूर संचार मंत्री ए. राजा, दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बरुआ, डीएमके सांसद कनिमोणी के अलावा वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में पैसे लेकर धांधली के आरोप में गिरफ्तार हुए भारतीय ओलंपिक संघ के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी तो पहले ही भ्रष्टाचार के आरोपों तिहाड़ में सजा काट रहे थे, हाल ही में उनका साथ देने के लिए राज्य सभा सदस्य और समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह भी नोट के बदले वोट कांड में गिरफ्तार हो तिहाड़ पहुंच ही गए. इन सब के अलावा देश के पांच अरबपति भी आज तिहाड़ के कम रोशनी वाले कमरों में अपना समय गुजार रहे हैं. बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमने और बढ़िया खाना खाने के शौकीन तिहाड़ जेल के नए निवासियों को वहां किसी भी प्रकार का स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया जा रहा है. अन्य कैदियों की तरह उनके दिन की शुरुआत भी सुबह 6 बजने के साथ शुरू हो जाती है. उसके बाद उन्हें खूंखार कैदियों के साथ नाश्ते की लाइन में लगना पड़ता है. संभव है कि नाश्ते में दो पीस ब्रेड और चाय का कप देखकर उन्हें अपने डाइनिंग टेबल पर सजे विभिन्न प्रकार की कुसीन की जरूर याद आती होगी. अब किया भी क्या जा सकता है, जो बोया है वो तो काटना ही पड़ेगा.
पैसे और सत्ता का नशा किसी भी व्यक्ति के ईमान को डगमगा सकता है, इस कहावत को सच कर दिखाने में हमारे कई बड़े राजनेताओं ने बहुत मेहनत की है, इसीलिए केवल 1-2 गिरफ्तारी से ही संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता. अगर हम अपने लोकप्रिय सांसदों की रिपोर्ट कार्ड पर नजर डालें तो उनमें से अधिकांश ऐसे हैं जिन्हें हम जल्द ही सलाखों के पीछे देखने की उम्मीद कर सकते हैं.
इतना ही नहीं अगर हमारा शासन तंत्र और न्याय व्यवस्था इसी तरह अपने निर्णय लेती रही तो बहुत हद तक संभव है कि पक्ष-विपक्ष के आधे से ज्यादा सांसद तिहाड़ जेल में ही एक-दूसरे के साथ बहस कर रहे हों. लेकिन बस एक कमी रह जाएगी कि जेल के कमरे संसद सदन के जितने बड़े नहीं बल्कि बहुत छोटे होते हैं, जिसकी वजह से उनकी एक-दूसरे पर चप्पल-जूते फेंकने की तमन्ना अधूरी रह जाएगी.
जब भ्रष्टाचारियों और अपराधियों का जिक्र हो ही रहा है तो हम कैसे अपने सम्माननीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का नाम लेना भूल सकते हैं. यह तो उनके साथ सरासर ज्यादती होगी. आखिर उन्होंने भी तो अपराधियों और आरोपियों को शरण देने में बहुत मेहनत की है. उनकी भूमिका को नजरअंदाज करना किसी भी रूप में न्याय संगत नहीं होगा. इतने बड़े-बड़े घोटालों को संरक्षण देना कोई आसान काम थोड़ी ना है.
अंत में मैं तो बस यहीं उम्मीद करती हूं कि हमारे तथाकथित साफ छवि वाले नेताओं का कच्चा चिट्ठा जल्द ही हम सबके सामने आए ताकि तिहाड़ जेल के वीआईपी मेहमानों की संख्या में यू ही तरक्की होती रहे और…………….!
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