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कुछ दिनों से स्वामी अग्निवेश का बिग-बॉस कार्यक्रम में शिरकत करने जैसी अफवाहों का बाजार गर्मा रहा था. इसे मात्र अफवाह ही मान कर छोड़ दिया जाए इससे पहले अन्ना के इंडिया अगेंस्ट करप्शन दल के पूर्व सदस्य अग्निवेश इन रोचक अफवाहों को शांत करने के लिए समाचार चैनलों पर अवतरित हुए. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि वह जल्द ही बिग-बॉस में मेहमान के तौर पर प्रवेश करने वाले हैं.
जब उनसे बिग-बॉस में मौजूद प्रतिभागियों के स्वभाव और हरकतों के विषय में बात की गई तो स्वामी जी ने कहा कि बिग-बॉस में हिस्सा ले रहे उनके बेटे और बेटियों का आचरण सांसदों के उस व्यवहार से तो बहुत अच्छा है जो वे संसद में करते हैं. एक-दूसरे पर कुर्सियां उठाकर मारना, हाथापाई करना आदि कुछ हमारे सांसदों की आदत में शुमार है. उनकी तुलना में तो बिग-बॉस के प्रतिभागी शालीन स्वभाव के हैं.
सुनकर अच्छा लगा कि चलो कोई तो है जो बिग-बॉस जैसे चिड़ियाघर में मौजूद जानवरों को शालीन और सभ्य कह रहा है.
खैर यह तो स्वामी अग्निवेश की व्यक्तिगत राय थी. लेकिन इतनी भी व्यक्तिगत नहीं कि इस पर अंगुली ना उठाई जाती. जैसे ही स्वामी अग्निवेश ने सांसदों और राजनीतिज्ञों के विरुद्ध बयानबाजी की आरोप-प्रत्यारोपों की बौछार सी आ गई. उन्होंने जिन सांसदों को अशिष्ट और असभ्य का दर्जा दिया था वे तो हाथ धोकर अग्निवेश के पीछे पड़ गए. लेकिन स्वामी अग्निवेश ने जो भी कहा उससे सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि एक दूसरे के कट्टर विरोधी समझे जाने वाले विभिन्न दलों के सदस्य संगठित होकर अग्निवेश के विरोध में समान सुर में गाने लगे. किसी ने कहा कि स्वामी जी पैसों और ग्लैमर के लालच में आकर यह सब कर रहे हैं, तो किसी ने उनके चरित्र पर ही अंगुलियां उठानी शुरू कर दी. बेचारे स्वामी जी भला करने चले थे और अपशब्दों और विवादों में फंस गए.
अब आप सोच रहे होंगे कि बिग-बॉस में जाकर आप किसी का क्या भला कर सकते हैं? विवेकानंद के जीवन से जुड़ा एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण प्रसंग स्वत: ही इस प्रश्न का उत्तर है.
एक बार विवेकानंद को कलकत्ता की एक वेश्या ने अपने यहां भोज के लिए आमंत्रित किया. उसने स्वामी विवेकानंद से मेहमाननवाजी का एक अवसर देने का आग्रह किया. विवेकानंद ने सहर्ष उसके इस न्यौते को स्वीकार किया. विवेकानंद के इस निर्णय की खूब आलोचना हुई. उनके आलोचक ही नहीं बल्कि प्रशंसक भी दबी आवाज में उनका विरोध करने लगे. विवेकानंद के संतत्व से अनजान सामान्य जन यह सोच रहे थे कि अगर विवेकानंद जैसा कर्मठ और सदाचारी व्यक्ति वेश्यालय में जाकर रहेगा तो उनके आचरण और चरित्र का क्या होगा. निश्चित ही ऐसा कर वह अपने प्रशंसकों और अनुयायियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. विवेकानंद के चरित्र पर लोगों को संदेह होने लगा.
इन सभी आरोपों को झेलते हुए विवेकानंद वेश्या के घर गए और कुछ दिन वहां रहे. विवेकानंद के सानिध्य और परिष्कृत आचरण का वेश्या पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि वह अपने पेशे को छोड़ विवेकानंद की शिष्या बन गई. वेश्यालय में मौजूद सभी सुख-सुविधाएं छोड़ वह विवेकानंद के पदचिन्हों पर ही चल पड़ी. उसने विवेकानंद के आदर्शों और सिद्धांतों को ही मार्गदर्शक बना लिया.
विवेकानंद के बाद अब स्वामी अग्निवेश भी यही कदम उठाने के लिए आगे बढ़ चले हैं. अग्निवेश ने भी सोचा होगा कि जिन भटके हुए लोगों को समाज रास्ता नहीं दिखा पाया, उन्हें सही मार्ग पर चलाने के लिए स्वामी जी का चमत्कारी व्यक्तित्व ही कोई कमाल दिखा दे.
लेकिन अग्निवेश शायद यह भूल गए हैं कि वह कभी विवेकानंद नहीं बन सकते. स्वामी विवेकानंद एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम था जिन्होंने अपने कृत्यों द्वारा दुनियां के समक्ष सदाचार और नैतिक आचरण का एक बेजोड़ नमूना पेश किया. उनके आदर्शों को आज भी लोग अपने जीवन का सिद्धांत मानते हैं. ऐसी महान आत्मा के साथ अग्निवेश जैसे धूर्त और पाखंडी व्यक्ति की तुलना करना ही बेमानी है. खुद को स्वामी कहलवाने वाले अग्निवेश एक ऐसी शख्सियत हैं जिसे अन्ना की टीम से भी इसीलिए निकाल दिया गया क्योंकि वह सरकार के साथ मिलकर उनके साथ धोखाधड़ी कर रहे थे.
उल्लेखनीय है कि जब विवेकानंद जैसे सतपुरुष को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था तो अग्निवेश जैसे कदाचारी और बेईमान व्यक्ति के साथ यह सब होना तो उनके लिए गर्व की बात होनी चाहिए.
वह संत ही क्या जो पहले से ही सभ्य और शालीन लोगों को मार्गदर्शन दे. वास्तविक महापुरुष तो वही है जो भटके हुए, गलत मार्ग पर चलने वाले लोगों को अपने स्वामित्व से प्रभावित कर, सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करे.
लेकिन शायद अग्निवेश बिग-बॉस के घर में रह रहे जंगलियों और अनैतिक लोगों को कम आंक रहे हैं. अग्निवेश उन्हें अपने चमत्कारी प्रभाव में लाते हैं या उनकी लाइफस्टाइल और कूल नेचर से प्रभावित होते हैं यह देखना दिलचस्प होगा. इसके अलावा अग्निवेश अपनी मेहमाननवाजी को कितना सहन कर पाते हैं दर्शक यह देखने के लिए भी उत्सुक रहेंगे.
हो सकता है कल हम अग्निवेश के अनुयायियों में इन्हीं में से किसी एक को देखें या फिर कुछ समय बाद स्वयं अग्निवेश को ही कोई नई फिल्म साइन करते हुए देखें.
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