- 50 Posts
- 1630 Comments
अभी कुछ दिनों पहले सौभाग्यवश मुझे चैनल वी पर आने वाले लव किया तो डरना क्या कार्यक्रम देखने का अवसर मिला. जैसा की नाम से ही जाहिर होता है यह कार्यक्रम प्रेमी जोड़ों के इर्द-गिर्द घूमता है. इस प्रोग्राम में ऐसे लवर्स शामिल किए जाते हैं जो एक-दूसरे से प्रेम का करने का दम तो भरते हैं लेकिन वे यह भी भली-भांति जानते हैं कि उनकी पसंद उनके अभिभावकों को किसी भी रूप में पसंद नहीं आएगी. इसके पीछे अभिभावकों की रुढ़िवादी मानसिकता या अलग-अलग जाति या धर्म का होना एक बड़ा कारण बनते हैं. इस कार्यक्रम में शामिल होकर प्रेमी जोड़े नेशनल टेलिविजन के माध्यम से अपने अभिभावकों के समक्ष अपने प्रेम का इजहार करते हैं. फिर चाहे टेलिविजन पर सबके सामने उनके माता-पिता उन्हें कितना ही मारे-पीटे या गाली-गलौज करें वह अपने प्रेमी के लिए प्रतिबद्ध रहकर उम्र भर साथ निभाने का वचन निभाते हैं.
खैर मेरा उद्देश्य इस कार्यक्रम के प्रति दिलचस्पी पैदा कर इसकी टीआरपी बढ़ाने का बिलकुल नहीं है. लेकिन इस शो ने मुझे ना चाहते हुए भी यह सोचने के लिए विवश कर दिया है कि इस तरह परिवार वालों से लड़-झगड़ कर या उन्हें मजबूर कर प्रेम विवाह करने के बाद खुशहाल तो नहीं रहा जा सकता लेकिन इस विवाह का सबसे बड़ा नुकसान किसे होता है?
उपरोक्त कार्यक्रम के जिस एपिसोड ने मुझे यह लेख लिखने के लिए प्रेरित किया उसमें एक लड़का, जिसका परिवार बेहद सामान्य और घरेलू मानसिकता वाला था, एक ऐसी मॉडर्न लड़की से विवाह करना चाहता था जिसे अपना जीवन अपने अनुसार जीने की आदत है. पेशे से मॉडल उस लड़की को छोटे कपड़े पहनना, रात-रात भर पार्टी करना और बिना पूछे दोस्तों के साथ घूमने-फिरने का शौक है. उल्लेखनीय है कि वह विवाह के बाद भी अपनी इन शौकों को छोड़ना नहीं चाहती थी.
लड़का, लड़की के स्वभाव और अपने परिवार की पसंद को बहुत अच्छी तरह समझता है. वह जानता था कि लड़की कभी भी उसके परिवार के अनुसार खुद को ढाल नहीं पाएगी, लेकिन वह अपने प्यार को पाने के लिए अपने अभिभावकों को राजी करवाने की पूरी-पूरी कोशिश कर रहा था. परिवार के बड़ों ने उसे बहुत डांटा लेकिन अभी भी उसने हार नहीं मानी है.
अगर ऐसे जोड़े किसी तरह विवाह बंधन में बंध भी जाते हैं तो उनके प्रेमपूर्वक रहने की संभावना बहुत कम या ना के बराबर ही होती हैं. हमारी सामाजिक व्यवस्था के अनुसार विवाह के पश्चात बेटी को अपने पिता का घर छोड़कर पति के घर जाना होता है. ऐसे में अगर वह लड़की प्रेम विवाह करने जा रही हैं तो निश्चित है कि वह लड़के के स्वभाव और आर्थिक स्थिति से पूरी तरह आशवस्त होने के बाद ही विवाह करने का निर्णय लेती है. अगर माता-पिता इस रिश्ते से राजी ना भी हो तो भी वह थोड़े मनमुटाव के बाद बेटी की खुशी के लिए इस रिश्ते को मंजूरी दे देते हैं. उन्हें लगता है कि अगर लड़का उसे शादी के बाद खुश रखेगा तो इसमें कोई परेशानी नहीं है.
लेकिन लड़के के मामले में यह विपरीत सिद्ध होता है. क्योंकि विवाह के पश्चात लड़का अपनी पत्नी के साथ अभिभावकों के साथ रहता है. अगर उसके अभिभावकों को यह लड़की पसंद ना हुई या किसी कारण वश उन्होंने पूरी आत्मीयता के साथ अपनी वधु को स्वीकार नहीं किया तो निश्चित है परिवार में हर समय कलह या मनमुटाव का वातावरण बना रहेगा. यह उस लड़की को भले ही ज्यादा परेशान ना करें लेकिन उस परिवार का बेटा अपनी पत्नी और माता-पिता के बीच के लड़ाई-झगड़ों में पूरी तरह फस जाता है. वह ना तो उस लड़की को कुछ कह सकता है और ना ही अभिभावकों के समक्ष अपनी परेशानी बयां कर सकता है. वह लड़की स्वभाव के बारें में पहले से ही जानता था, इसीलिए ऐसे स्वभाव वाली युवति के साथ संबंध रखना उसकी मजबूरी बन जाती हैं.
प्रेम-विवाह में प्राय: देखा जाता है कि पत्नियां अपने पति पर पूरी तरह हावी हो जाती हैं. उन्हें संबंध को निभाना अपनी जिम्मेदारी हीं बल्कि पति की मजबूरी लगने लगता है. प्रेम-विवाह करने वाले पुरुषों के विषय में अकसर पत्नियां यह समझने लगती हैं कि उनके प्रेमी ने उनसे इसीलिए विवाह किया है क्योंकि वह उनके बिना नहीं रह सकतें. इसीलिए घर में कलह ज्यादा बढ़ जाने या खुद को मनचाही स्वतंत्रता ना मिलने पर वह पति को अलग होने के लिए कहती हैं और बिगड़ते हालातों को संभालने के लिए बेटे को अपने परिवार से अलग होना ही पड़ता है.
प्रेम संबंध और विवाह में बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण अंतर होता है. प्रेम संबंध निभाना उतना जटिल कार्य नहीं होता जितना एक गलत जीवनसाथी के साथ वैवाहिक जीवन बिताना. अभिभावक अपने बच्चों के लिए कितने सपने देखते हैं, उसकी खुशी के लिए अपनी जरूरतें तक त्याग देये हैं. लेकिन उस बच्चे का एक गलत कदम उन्हें जीवन भार के दुख दे जाता है. ऐसे हालातों के मद्देनजर यह कहना कदापि गलत नहीं होगा कि प्रेम-विवाह करने के बाद अगर किसी को नुकसान होता है तो वह मात्र उस लड़के को जिसने परिवार वालों की मर्जी और इच्छाओं को पीछे छोड़ दिया.
Read Comments