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हम कैसे कह सकते हैं निर्मल बाबा ढोंगी हैं ?

सरोकार
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यदि आप किसी के वाक् जाल में फंसते हैं तो इसमें उस व्यक्ति का दोष क्या जो अपना हित साधने के लिए आपकी तरफ चारा फेंक रहा हैं. दोष तो उसका मानना चाहिए जो ऐसे छ्द्म जाल में फंसता है. इस पर भी यदि हमारी नजर में ठगे गए लोग स्वयं यह कहें कि वे ठगे नहीं गए हैं तो फिर हम किस पर ठगी करने का आरोप लगा रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला निर्मल जीत सिंह यानि निर्मल बाबा का भी है जिन पर आरोप तो ढेर सारे लगाए जा रहे हैं किंतु सही मायने में उन पर किसी भी आरोप की पुष्टि नहीं की जा सकती है. बाबा और उनके भक्तों के बीच जो घटित हो रहा है उससे आखिर हमें इतना ऐतराज क्यों?


nirmal babaटी.वी. खोलते ही हमें कितने ही ऐसे संत-महात्मा नजर आ जाते हैं जो खुले आम अपनी तथाकथित दैवीय शक्तियों का बखान कर रहे होते हैं. उनका तो यह साफ कहना है कि उनकी शरण में आकर किसी भी व्यक्ति की सभी समस्याएं और परेशानियां छू-मंतर हो सकती हैं. पहले भले ही आम जनमानस का इनके प्रति रुझान कम होता था लेकिन मीडिया और आधुनिक संचार माध्यमों ने ऐसे बाबाओं की लोकप्रियता पर चार चांद लगा दिया है. लेकिन आजकल जिस बाबा को मीडिया निशाना बनाकर सबसे ज्यादा प्रचारित कर रहा है वह है निर्मलजीत सिंह नरुला उर्फ निर्मल बाबा.


निर्मल बाबा, समागम के नाम पर निर्मल दरबार लगाकर आम जनता की परेशानियों का हल निकालने की कोशिश करते हैं. वैसे अगर हम यह कहें कि लगभग-लगभग हल निकाल ही देते हैं तो यह भी गलत नहीं होगा. यही वजह है कि आज निर्मल बाबा ने पिछले सभी प्रसिद्ध बाबाओं को पूरी तरह फ्लॉप कर दिया है. रोज टी.वी. पर विशेषकर न्यूज चैनलों पर थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा नामक कार्यक्रम का प्रसारण किया जाता है, जिसमें निर्मल बाबा दुखियारी जनता की समस्याओं को हल करते नजर आते हैं. भले ही वह समस्याएं समोसा और गोलगप्पे खाने से ही क्यों ना हल होती हों लेकिन अंत में हमें तो सिर्फ आम खाने से मतलब होना चाहिए.


खैर, इसमें कोई दो राय नहीं है कि निर्मल बाबा की लोकप्रियता का सारा श्रेय सिर्फ और सिर्फ मीडिया को ही जाता है. पहले निर्मल बाबा के चमत्कारों को इतना बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया लेकिन अब वह पता नहीं क्यों इनके चमत्कारों की बखिया उधेड़ने पर लगी हुई है !!


पिछले कुछ समय में निर्मल बाबा के ऊपर ना जाने कितने ही आरोप दर्ज किए जा चुके हैं. कोई कहता है वह ढोंगी हैं, कोई उन्हें ठग कहता है तो कोई उन्हें लोभी और लालची व्यक्ति की संज्ञा देता है. लेकिन हम उन लोगों को क्या कहेंगे जिन्हें निर्मल बाबा के नुस्खों का भरपूर फायदा मिला है, जो उन्हें भगवान से कम नहीं पूजते.


हो सकता है आप लोग उन्हें अनपढ़ और बेवकूफ लोग समझते हों, लेकिन शायद कोई व्यक्ति ऐसा नहीं हो सकता जो इतना बेवकूफ हो कि उसे अपने परिमार्जित होते हालात नजर ना आएं. अगर निर्मल बाबा के पास किसी भी तरह की कोई शक्ति है तो वह सिर्फ वही व्यक्ति समझ सकता है जिस पर उनकी कृपा बरसी है, आप या मैं नहीं जिन्होंने कभी निर्मल बाबा पर विश्वास तो नहीं किया लेकिन उन पर हमेशा आरोप ही लगाए हैं. हो सकता है कि बाबा की जिस नकारात्मक छवि को आजकल प्रचारित किया जा रहा है वह सही हो लेकिन बिना किसी साक्ष्य के हम इसे स्वीकार तो नहीं कर सकते.


nirmalवैसे तो यह बात भी सच है कि अगर निर्मल बाबा एक ठग और ढोंगी हैं, तो उनसे भी कई बड़े ठग गेरुए वस्त्र पहनकर जनता की भावनाओं और उनके पैसे के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उन्हें अपने अनुयायियों का समर्थन इस कदर मिला हुआ है कि उन पर किसी भी प्रकार का आरोप लगाना किसी के बस की बात नहीं.


अगर निर्मल बाबा ढोंगी हैं तो उन्होंने कभी किसी को जबरदस्ती अपने समागम में कभी नहीं बुलाया, लोग स्वयं वहां गए. अगर कोई व्यक्ति खुद यह चाहता है कि उसके साथ धोखेबाजी हो तो इसमें क्या उस व्यक्ति की गलती है जो उनके साथ खिलवाड़ कर रहा है. लेकिन अगर निर्मल बाबा के चमत्कारों में थोड़ी भी सच्चाई है और अपने भक्तों पर कृपा बरसाने के लिए वह उनसे दस प्रतिशत की मांग कर भी लेते हैं तो इसमें बुराई क्या है?


निर्मल बाबा अपने चमत्कार दिखा कर धन बटोर रहे हैं वहीं न्यूज चैनल, भले ही नकारात्मक रूप से, उन्हें दिन रात प्रचारित कर अपनी टीआरपी बढ़ा रहे हैं. किंतु इन सबके बीच ये सवाल हमेशा बना रहेगा कि आखिर बाबा और उनके भक्तों के बीच के संबंधों पर अपनी नाइत्तेफाकी दर्शा करके हम कैसे सच को उद्घाटित कर सकेंगे?


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